गाउट जोडों (आर्थराइटिस) की बीमारी है जो रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा के आव्यशकता से अधिक होने के कारण होता है। रक्त में यूरिक एसिड प्रोटीन प्यूरीन के खंडन से बनता है । बीमारियां जैसी की हाइपोथाइरोडिस्म, सोराइसिस, किडनी डिसऑर्डर, कैंसर, अल्कोहल का अधिक सेवन करने से रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है । कुछ दवाइयां जैसे की डाईयूरेटिक्स (बढे हुए रक्तचाप के लिए सामन्य दवाई) भी रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ा सकती है। अन्य स्तिथियाँ जो रक्त में यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा का कारण बन सकती है वे हैं ट्यूमर लायसिस सिंड्रोम एवं कुछ एंजाइम की विरासती (इनहेरिटेड) कमी जो की शरीर में यूरिक एसिड के खंडन के लिए आवयश्क होते हैं
लम्बी अवधि तक यूरिक एसिड की अधिक मात्रा होने पर यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोडों के आसपास के टिश्यू (टोफी) में या किडनी में जमा हों जाते हैं। इस कारणवश जोड़ों में सूजन, दर्द, ओर किडनी की पथरी हों जाती है । इसीलिए गाउट के होने के लिए यूरिक एसिड की मात्रा का बढ़ा होना ज़रूरी है , पर सभी मरीजों में मात्रा बढ़ी हुई हों ऐसा ज़रूरी नहीं है । इसके अलावा 5% सामान्य आबादी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा होता है पर वे गाउट गठिया से पीड़ित नहीं है। गाउट गठिया का दर्द ( सूजे हुए, दर्दनाक एवं संवेदनशील जोड़ ) रक्त में यूरिक स्तर के बहुत बढ़ने के बजाय इसके स्तर के बहुत परिवर्तन( ऊपर नीचे होने से) से ज्यादा होता है इसलिए सामान्य यूरिक एसिड स्तर गाउट की परेशानी के दौरान काफी आम है।
सीरम का यूरेट स्तर जितना अधिक होगा, उतना अधिक संभावना है कि एक व्यक्ति को गाउट विकसित हो सकता है। इसके अलावा इलाज की शुरुआत के साथ रक्त यूरिक एसिड स्तर नीचे जाना चाहिए ताकि इसकी निगरानी उपचार के प्रभाव का आकलन करने के लिए उपयोग की जा सके।
क्रोनिक गाउटी अर्थरोपैथी विकसित होने से पहले एक मरीज में गठिया के कई तीव्र अटैक होते हैं । कई वर्षों के तीव्र अटैक के बाद रोगी में क्रोनिक अर्थरोपैथी विकसित हो जाती है । तीव्र अटैक की पहचान है लाल, संवेदनशील , गर्म, एवं सूजे हुए जोड़ । इन अटेकों का कारण लोकल ट्रॉमा, स्ट्रेस, एक्यूट इलनेस, या अल्कोहलिक बिंज भी हो सकता है। पैर के अंघुटे का पाँव से जोड़ गाउट मैं सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला जोड़ है । अन्य जोड़, जैसे टखना( ankle) हाथों के छोटे जोड़, घुटने और कोहनी भी गाउट मैं प्रभावित हो सकते हैं। क्रोनिक गाउटी अर्थरोपैथी की पहचान है कठोर, दर्दनाक और विकृत जोड़।
पाँव के अंघुटे के जोड़ का गाउट
यदि आपको गठिया है तो आपको “प्यूरीन” से भरपूर खाना नहीं खाना चाइये । गठिया के दौरे (अटैक) होने की संभावना “प्यूरीन” से भरपूर आहार के साथ 5 गुना बढ़ जाती है। जिन लोगों को गठिया है उनमें उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा (मधुमेह), कोलेस्ट्रॉल का स्तर और गुर्दे की पथरी की संभावना है।
“प्यूरीन” से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं: (से बचें) – मांस, लिवर, गुर्दे, मछली, समुद्री भोजन, फिजेंट (तीतर), खरगोश, हिरण का मांस, ट्राउट, मैकेरल, सार्डीन, स्प्राट इत्यादि तैलीय मछलिया।
बीफ, चिकन, सूअर का मांस, शतावरी, फूलगोभी, मशरूम, पालक, मटर, फलियां, सोयाबीन, ब्रान, होलेमील ब्रेड आदि
अध्ययनों ने साबित होता है कि जानवरों के भोजन की तुलना में शाकाहारी भोजन रक्त में यूरिक एसिड में कम वृद्धि करता है। तो आप दैनिक रूप से फलियां / दाल के एक कटोरे को सुरक्षित रूप से खा सकते हैं। दूध, पनीर, दही, मक्खन और अंडा जैसे डेयरी उत्पाद आप सुरक्षित रूप से खा सकते हैं।
आपको हाई फ्रूक्टोस वाली डाइट जैसे मीठे पेय पदार्थ, मकई सिरप, शीतल पेय और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए।
शराब पीना (विशेष रूप से बियर) भी गाउटी अटैक हमलों का खतरा बढ़ाता है। अन्य जीवन परिवर्तन जो गठिया के एक रोगी को अपनाने चाहिए, उनमे नियमित व्यायाम और वजन घटाना शामिल है।